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Sunday, June 15, 2025

भीष्म की प्रतिज्ञा और सच्ची उन्नति का द्वार

 


जानें भारतीय संस्कृति में पिता का महत्व, महाभारत के भीष्म पितामह का त्याग और कैसे उनकी सेवा हमें जीवन में सफलता और आध्यात्मिक उत्कर्ष दिलाती है। इस पितृ दिवस पर पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।

"जननी जन्मभूमिश्च जाह्नवी च जनार्दनः। जनकः पंचमश्चैव जकाराः पंच दुर्लभाः॥"

इस श्लोक में जिन 'पंच जकारों' को दुर्लभ कहा गया है, उनमें पाँचवें 'ज' के रूप में पिता (जनक) का उल्लेख है, जो उनके अतुलनीय महत्व को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति में जहां “मातृदेवो भव” का उद्घोष है, वहीं “पितृदेवो भव” का निर्देश भी उतना ही पुण्यपूर्ण और महत्त्वपूर्ण है। माता को देवी तुल्य पूजने के साथ-साथ, पिता के प्रति सम्मान और सेवा का भाव भी हमारी सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है।

पिता: केवल जन्मदाता नहीं, जीवन के शिल्पकार

पिता केवल जन्मदाता नहीं होते। वे तो जीवन के सच्चे शिल्पकार हैं, जो अपने बच्चों के भविष्य को आकार देने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं। पिता जीवन-आदर्श हैं, वे उत्तरदायित्व-स्तम्भ हैं और आत्मिक-अनुशासन की प्रेरक सत्ता हैं। उनका मौन त्याग, अथक परिश्रम और अटूट संकल्प हमें जीवन के हर मोड़ पर सही राह दिखाते हैं।

हमें याद रखना चाहिए कि पिता की सेवा और सम्मान ही वह मार्ग है, जिससे संतान न केवल सांसारिक सफलता प्राप्त करती है, अपितु आध्यात्मिक उत्कर्ष का भी अधिकारी बनती है। यह वह नींव है जिस पर एक सफल और सार्थक जीवन की इमारत खड़ी होती है।

मौन दीपक जो परिवार को दिशा दिखाते हैं

पिता को अक्सर परिवार का वह दीपक कहा जाता है, जो स्वयं जलकर दूसरों के जीवन में प्रकाश भरता है। वे शायद कम बोलते हैं, उनके शब्द कम होते हैं, पर उनका जीवन-चरित्र स्वयं में एक शास्त्र के समान होता है। उनके कर्म, उनके निर्णय, उनका संयम – ये सब हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को सिखाते हैं। पिता का त्याग, परिश्रम, अनुशासन और संकल्पशीलता हमें यह सिखाती है कि जीवन केवल उपभोग का नाम नहीं, बल्कि यह उत्तरदायित्वों को निभाने का भी नाम है। वे हमें सिखाते हैं कि चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए और अपने सपनों को साकार करने के लिए कितनी मेहनत की जाए।

महाभारत से एक प्रेरणादायक उदाहरण: भीष्म की प्रतिज्ञा

महाभारत के महान पात्र भीष्म पितामह का उदाहरण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि पिता के सुख और सम्मान के लिए एक पुत्र किस हद तक जा सकता है। देवव्रत (जो बाद में भीष्म कहलाए) अपने पिता राजा शांतनु से अगाध प्रेम करते थे। जब उन्होंने देखा कि उनके पिता सत्यवती से विवाह करना चाहते हैं, लेकिन सत्यवती के पिता इस शर्त पर तैयार नहीं थे कि उनके पुत्र ही हस्तिनापुर के राजा बनें, तो देवव्रत ने एक ऐसी भीषण प्रतिज्ञा ली, जिससे उनका अपना जीवन ही बदल गया। उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने और राजपद का त्याग करने की प्रतिज्ञा ली, ताकि उनके पिता शांतनु अपनी इच्छानुसार विवाह कर सकें और उनके होने वाले पुत्रों को राज्य का अधिकार मिल सके। यह त्याग, यह संकल्प, पिता के प्रति अगाध प्रेम और सम्मान का ही सर्वोच्च उदाहरण है। भीष्म की यह प्रतिज्ञा हमें सिखाती है कि पिता का सम्मान और उनके सुख के लिए स्वयं को समर्पित करना ही सबसे बड़ा धर्म है। यह दर्शाता है कि एक पुत्र अपने पिता के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी दे सकता है।

वेदों से लेकर आधुनिक युग तक: पिता की महिमा

हमारी प्राचीन वेदों और स्मृतियों में भी पिता की सेवा को सर्वोच्च तपस्या का दर्जा दिया गया है। "पितृसेवा परमं तपः" — यह कहा गया है। इसका अर्थ है कि पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा तप है, सबसे बड़ी साधना है। जो पुत्र श्रद्धा-भाव से अपने पिता की सेवा करता है, उसे जीवन में सहज ही धर्म (नैतिकता), अर्थ (धन), काम (इच्छाओं की पूर्ति) और मोक्ष (मुक्ति) – चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। उसकी वाणी में आशीर्वादों की अद्भुत शक्ति होती है और उसके जीवन के पथ से विघ्न स्वतः ही हट जाते हैं। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि कृतज्ञता और सम्मान के सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह है।

फादर्स डे: कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर

Father's Day जैसे विशेष अवसर हमें यह स्मरण कराते हैं कि हम उस मौन तपस्वी के ऋणी हैं, जिनके कारण हम आज यहाँ खड़े हैं। पिता ही वह शक्ति हैं जिनकी छत्रछाया में हम बढ़ते हैं, सीखते हैं और जीवन में ऊँची उड़ान भरने का साहस करते हैं। यह दिन केवल उपहार देने या केक काटने का नहीं है, बल्कि यह अपने पिता के प्रति सच्ची कृतज्ञता, प्रेम और सम्मान व्यक्त करने का दिन है।

याद रखें, पिता केवल सम्बन्ध नहीं, वे एक जीवित आदर्श हैं। पिता की सेवा में ही स्वर्ग है, और पिता के चरणों में ही सच्ची उन्नति का द्वार खुलता है।

"पिता को देवता जानो, वही ईश्वर का सबसे निकट रूप हैं।”

इस पितृ दिवस पर, आइए हम सब अपने पिता के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को व्यक्त करें। उनके त्याग, उनके परिश्रम और उनके असीम प्रेम के लिए उन्हें धन्यवाद दें।

#पितृ_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!